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दुर्भिक्षे राजपीडायां ग्रामे वा वैरिमध्यके । यत्र यत्र भयं प्राप्तः सर्वत्र प्रपठेन्नरः ।।
ಪಾತು ಸಾಕಲಕೋ ಭ್ರಾತೄನ್ ಶ್ರಿಯಂ ಮೇ ಸತತಂ ಗಿರಃ
ಉದರಂ ಚ ಸ ಮೇ ತುಷ್ಟಃ ಕ್ಷೇತ್ರೇಶಃ ಪಾರ್ಶ್ವತಸ್ತಥಾ
कालभैरव भगवान शिव के रौद्र अवतार हैं। आदि शंकराचार्य ने काल भैरव अष्टक में भगवान शिव के इस रूप का वर्णन किया है। कालभैरव ब्रह्म कवच कालभैरव का एक शक्तिशाली भजन है। ऐसा कहा जाता है कि इस ढाल का जाप करने से आप जादू-टोने और अन्य शत्रुओं के हमलों से बच जाते हैं।
मालिनी पुत्रकःपातु पशूनश्यान् more info गजांस्तथा ।।